मैं भी एक इंसान हूँ।


She is just a lady


हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ।  

भारत की पहचान हूँ।  

स्त्री मेरा नाम पर वस्त्रों से बदनाम हूँ।  

न नाम न शान इस समाज में गुमनाम हूँ।  

हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ।  


कौशल देखा तो क्या देखा  

जब खींच उठी चेहरे की रेखा,  

कद में छोटी हूँ तो क्यों?  

कर्म में बलवान हूँ,  

हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ।  


रेप हुआ जो आज मेरा!  

वस्त्रों पर प्रश्न उठा देना,  

इंसाफ दिलाने के लिए,  

दो कैंडल तुम जला लेना,  

पर सोच तेरी छोटी है,  


निर्दय है और खोटी है।  

क्या बस कैंडल के योग्यवान हूँ?  

हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ।  


किस्सों के भी किस्से हैं,  

हर किस्से की एक कड़ी  

कहानियों की कहानी में  

एक कहानी सबसे बड़ी है।  

ये मेरा सम्मान है,  

मैं खुद का स्वाभिमान हूँ।  

हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ।  


आज मुझे आज़ादी दो, यह मेरा अधिकार है,  

सर ऊँचा कर चलती हूँ, तो क्या मुझमें अहंकार है?  

हाँ, मैं भी एक लड़की हूँ, क्यों मुझ पर धिक्कार है?  

हाँ, होंगे तुम भविष्य, पर मैं तो वर्तमान हूँ।  

हाँ, मैं भी एक इंसान हूँ, मैं भारत की पहचान हूँ।



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